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बोहनी

हाय राम!
हाय राम!
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खलीलाबाद मे जैसे ही बस रुकी, एक सज्जन जल्दी से बस मे प्रवेश किये. मेरे बगल मे स्थान ले लिया. उनका फोन लगातार बज रहा था.

” अरे, बताया ना, एक पैसा कम नही होगा.५००० से एक पैसा कम नही होगा.
गेन्हु ट्र्क मे ही सड जायेगा, मन्डी मे बिकने की नौबत नही आ पायेगी.

ठीक है, गेट पर वर्मा जी को दे दो, पास मिल जायेगा.

चेहरे पर बडी सी मुस्कान लिये मेरि तरफ देखा और बोले, आज क्या बोहनी हुई है.

उन्होने बगल मे दबा अखवार खोल लिया, और खो गये मुख्य शीर्शक मे ” भ्र्स्ताचार पर देश एक्जुट.”

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